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Press Release

डॉ वि कास मौर्या, डायरेक् टर एवं एचओडी, पल् मोनोलॉजी एंड स् लीप डि सॉ र्डर्स, फोर्टिस हॉस् पीटल, शालीमार बाग

Fortis Hospital, Shalimar Bagh, New Delhi Apr 01, 2023

हम देख रहे हैं कि कोरोनावायरस के मामले फि र बढ़ने लगे हैं। मुझे लगता है कि इस समय बदलते
मौसम की वजह से ऐसा है। हमने महसूस कि या है कि मौसम बदलने पर इंफेक् शंस के मामले बढ़ते हैं
और आपने देखा होगा कि H3N2 के बाद अब कोरोनावायरस के मामलों में वृद्धि हो रही है।
जैसा कि मैंने बताया है कि बदलते मौसम में श् वसन तंत्र को प्रभावि त करने वाले वायरस बेहद सक्रि य
हो जाते हैं और कोरोना भी ऐसा ही एक वायरस है जो अब फि र एक्टि व हो रहा है। दूसरे, जैसा कि
आप जानते हैं कि कोरोना लगातार अपने तेवर बदलता रहने वाला वायरस है, यानि उसमें हमेशा म्
युटेशंस होते हैं। अब हम ऐसा फि र एक नया वेरि एंट SBP 1.16 देख रहे हैं जो कि ओमि क्रॉन का ही
वेरि एंट है, और यह अधि क संक्रामक लेकि न कम खतरनाक है।
यही कारण है कि ज् यादा मामले बढ़ रहे हैं। और जैसा कि आप जानते हैं कि समय बीतने के सा थ वैक्
सी न से मि लने वाली इम् युनि टी भी कमज़ोर पड़ने लगती है। इसके अलावा, हम इस बदलते मौसम में
और भी कई तरह के रेस्पि रेट्री वायरसों को सक्रि य होते रहे हैं, जैसे कि फ्लू वायरस है जि सके लि ए हर
सा ल वैक् सी न लेनी होती है। इसलि ए जि न लोगों ने कोवि ड वैक् सी न ली थी , उनकी इम्युनि टी
कोरोनावायरस से अब पहले जि तनी नहीं रह गई है।
संभवत: इस वजह से भी अब कई लोग इस संक्रमण के शि कार बन रहे हैं और रोगों के लक्षण सा मने आ
रहे हैं। अगर आप मुझसे यह पूछेंगे कि यह नया वायरस कि तना गंभीर है तो मैं कहूंगा कि फि लहाल,
जो हमें समझ आ रहा है वह यह कि यह अधि क संक्रामक तो है लेकि न ज् यादा खतरनाक नहीं है।
हमने पा या है कि ज् यादातर मामले जो कि सा मने आ रहे हैं उनमें संक्रमण हल् का है। और ऐसा दोनों
कि स् म के मरीज़ों में देखा जा रहा है, यानि जि न मरीज़ों ने वैक् सी न की तीनों खुराक ली थीं और वे भी
जि न् होंने कोई वैक् सी न नहीं ली थी । हम कोरोना मरीज़ों को अस् पताल में भर्ती होते हुए भी देख रहे हैं।
और ये मुख् य रूप से बुजुर्ग या पहले से कई रोगों से ग्रस् त मरीज़ हैं। इन् हें आईसी यू में भर्ती कि या जा रहा
है और इनके मामले में ऑक् सी जन की मांग काफी अधि क है।
हम इन् हें एंटी वायरस दे रहे हैं और कुछ ही दि न में उन् हें स् वास् थ् यलाभ भी मि ल रहा है। लेकि न अभी तक
यही देखने में आया है कि कोरोनावायरस काफी कम और मुख् य रूप से काफी कम गंभीर कि स् म के रोग
का कारण बन रहा है। अब सवाल उठता है कि वैक् सी न कि तनी कारगर है। जैसा कि मैं ऊपर बता चुका
हूं कि वैक् सी न बेशक, प्रभावी होती है लेकि न समय बीतने के सा थ इम् युनि टी कमजोर पड़ती है।
एक और महत् वपूर्ण बात यह है कि यह वायरस काफी बदलने वाला है, और अब भी इसमें म् युटेशन हो
रहा है। और हो सकता है कि कुछ महीनों या वर्षों के बाद कोई और म् युटेशन हो जाए। और यही कारण
है कि इसके मामले में वैक् सी न से प्राय: लंबे समय तक इम् युनि टी नहीं मि ल पा ती है। हालांकि भारत में
लोगों ने वैक् सी न ली है लेकि न यह भी सच है कि उन् हें कई बार इंफेक् शन भी हो चुका है। इसी लि ए, अब
वे इस इंफेक् शन के कम गंभीर लक्षणों के शि कार बन रहे हैं।
वैक् सी न के प्रभाव की जहां तक बात है तो इससे मि लने वाली इम् युनि टी करीब छह माह तक होती है,
या एक सा ल से भी कम। उस पर म् युटेशन के चलते भी इम् युनि टी कम मि लती है।
अब एक और सवाल यह उठता है कि इस वक् त मामले क् यों बढ़ रहे हैं। तो इसका एक कारण यह भी है
कि ची न ने अपने प्रति बंध उठा लि ए हैं जबकि पहले यह पूरी तरह से बंद था । ची न के खुलने के बाद
मामले भी बढ़ रहे हैं। वैसे भी वि भि न् न देशों द्वारा प्रति बंध हटा ने के बाद, लोगों के आवागमन के
कारण, मामलों में बढ़ोतरी होना स् वाभावि क है।

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