डॉ मीतू श्रीखंडे, सीनि यर कंसल् टैंट – हि मेटोलॉजी, फोर्टिस हॉस् पीटल वसंत कुंज
1. हीमोफीलि या की पहचान कैसे करें और कि स प्रकार इसकी जांच करवाएं
जांच के दौरा न, आमतौर से स् क्रीनिंग टैस् ट और क् लॉटिंग फैक् टर टैस् ट करवाए जाते हैं। लैब में हीमोफीलि या की
जांच के लि ए नॉ र्मल प्रोथ्रॉम्बि न टाइम (पीटी), प्रोलॉन् ग् ड एक्टि वेटेड पार्शियल थ्रोम् बोप् लास्टि न टाइम (aPTT),
प्रोलॉन् ग् ड ब् लीडिंग टाइम (बीटी) और सामान् य प् लेटलेट काउंट शा मि ल हैं। इसके अलावा फैक् टर 8 की कमी, जो
कि खून के जमने की प्रक्रि या को कम/धीमा करती है, हीमोफीलि या ए का कारण है।
यह एक दुर्लभ कि स् म का वि कार है। अगर परि वार में कि सी को यह होता है तो प् लेसेंटा बायप् सी, एम्नि योटि क
फ्लूड की जांच से यह पता लगा या जा सकता है कि क् या नवजात शि शु भी हीमोफीलि या का शि कार होगा
अथवा नहीं। इस जांच से जीन की पड़ताल की जाती है ताकि मां की गर्भा वस् था के दौरा न ही यह पता लगा या
जा सके कि नवजात हीमोफि लि या से ग्रस् त होगा या नहीं।
2. क्या है हीमोफीलि या?
शरी र में सामान् य तौर पर कुछ न कुछ टूट-फूट होती ही रहती है, इसलि ए क् लॉटिंग बहुत महत् वपूर्ण प्रक्रि या है, प्
ले टलेट्स और प्रोटीन् स उन क् लॉटिंग फैक् टर्स का नि र्माण करते हैं जि नके कारण खून का थक् का जमता है। लेकि न
जब हमारे शरी र में इनकी मात्रा पर्याप् त नहीं होती तो क् लॉटिंग नहीं हो पाती। हीमोफीलि या एक प्रकार की
मेडि कल कंडीशन है जि सके चलते शरी र की क् लॉट करने की क्षमता घट जाती है।
3. हीमोफीलि या (Haemophilia) के प्रकार क्या हैं?
क् लॉटिंग फैक् टर और रो ग की गंभी रता
1 प्रति शत से कम क् लॉटिंग फैक् टर की उपलब् धता गंभी र हीमोफीलि या का कारण बनता है (इसके कारण छो टी-
मोटी चोट लगने पर भी ब् लीडिंग होती है।)
सामान् य (मॉडरेट) हीमोफीलि या – 1 से 5 प्रति शत क् लॉटिंग फैक् टर की उपलब् धता (जि समें नॉ र्मल ट्रॉमा भी ब्
लीडिंग का कारण बन सकता है)
हल् का (माइल् ड) हीमोफीलि या – 5 से 30 प्रति शत क् लॉटिंग फैक् टर (अत् यधि क ट्रॉमा में ब् लीडिंग होती है)
क् लॉटिंग फैक् टर की कमी के आधार पर
हीमोफीलि या A
यह क् लॉटिंग फैक् टर VIII की कमी या उसके स् तर में गि रा वट होने पर होता है।
हीमोफीलि या B
यह क् लॉटिंग फैक् टर IX की कमी या उसके स् तर में गि रा वट के कारण होता है।
हीमोफीलि या C
यह क् लॉटिंग फैक् टर XI की कमी या उसके स् तर में गि रा वट के कारण होता है।
4. हीमोफीलि या (Haemophilia) के लक्षण?
इसमें कहीं से भी ब् लीडिंग हो सकती है, और यह स् पष् ट रूप से देखी जा सकती है तथा कि सी भी प्रकार के ट्रॉमा
के कारण ऐसा होता है। ब् लीडिंग बि ना कि सी कारण के अचानक, कहीं से भी हो सकती है, यानि हल् की सी
खरों च या चोट भी ब् लीडिंग का कारण बन सकती है। कि सी भी प्रकार की चोट, कटने, सर्जरी या डेंटल प्रक्रि या
के कारण ब् लीडिंग हो सकती है।
5. हीमोफीलि या (Haemophilia) के कारण?
यह एक प्रकार का दुर्लभ आनुवांशि क वि कार है जि समें जीन् स म् युटेट होती हैं यानि उनमें परि वर्तन होता है।
प्रोटीन और क् लॉटिंग फैक् टर्स जीन् स पर नि र्भर करते हैं और यदि जीन् स म् युटेट करते हैं तो हीमोफीलि या हो
सकता है। इसकी वजह से शरी र की क् लॉटिंग क्षमता खत् म या कम हो जाती है। ये जीन् स एक् स क्रोमोसॉम् स में
होती हैं।
6. हीमोफीलि या (Haemophilia) को शुरुआत में ही कैसे पहचानें?
बच् चों में इसकी पहचान उनके चलना शुरू करने पर जोड़ों में सूजन, गरम या लाल पड़ने से की जा सकती है, क्
योंकि चलने पर वे कहीं न कहीं टकरा ते हैं और ऐसे में सूजन हो सकती है या ब् लीडिंग भी हो सकती है और जब
उनके दांत टूटते हैं तो भी ब् लीडिंग हो सकती है। इसी तरह, खतना होने पर, जो कि 1 साल से कम उम्र के शि शु
का कि या जाता है, काफी ब् लीडिंग हो सकती है। इसका पता गर्भा वस् था में ही लगा या जा सकता है।
कि सी भी महि ला में 2 एक् स क्रोमोसोम् स होते हैं जबकि पुरुषों में 1 एक् स क्रोमोसोम और 1 वाई क्रोमोसोम
होता है। इसलि ए जब भी महि ला का एक एक् स क्रोमोसोम गड़बड़ होता है और दूसरा नॉ र्मल रहता है तो वे इस
रो ग की वाहक होती हैं लेकि न यदि पुरुष में एक एक् स क्रोमोसोम असामान् य होता है तो रो ग प्रकट होता है।
इसलि ए, इस रो ग से पुरुष प्रभा वि त होते हैं लेकि न वाहक महि लाएं होती हैं।
7. हीमोफीलि या (Haemophilia) का इलाज
इस वि कार का कोई उपचार नहीं है। उपचार सि र्फ बचाव पर ही नि र्भर है, यदि कि सी बच् चे में ब् लीडिंग शुरू
होने से पहले ही इसकी पहचान कर ली जाए बच् चे को चाइल् ड फैक् टर रि प् लेसमेंट यानि प्राइमरी प्रोफाइलैक्सि स
दि या जा सकता है, जि सका मतलब यह हुआ कि उस तत् व का रि प् लेसमेंट देना जो शरी र में नहीं है या बहुत कम
मात्रा में है। आज की दुनि या में, जबकि फैक् टर्स को सिंथेटि क रूप से बना ना मुमकि न है और इसे उस शरी र में
पहुंचाया जाए जि समें यह आमतौर पर नहीं बनता, तो इनसे काफी हद तक जटि लताओं को रो कने में मदद
मि लती है और यह भी संभव है कि ये ब् लीडिंग होने से पहले ही उसे रो क सकें। पहले हम इन फैक् टर्स को सप् ताह
में दो से तीन बार दि या करते थे, लेकि न आज जबकि अधि क टि काऊ फैक् टर्स उपलब् ध हो चुके हैं, जो 2 से 3
हफ्ते तक काम कर सकते हैं, उनका प्रयोग करने पर ब् लीडिंग से पूरी तरह बचाव मुमकि न है।
8. हीमोफीलि या के मरीज के परिवार के सदस्यों को कि न बातों का ध्यान रखना चाहिए?
यदि हम यह पता लगा सकें कि कि सी बच् चे को हीमोफीलि या है तो हमें फैक् टर रि प् लेसमेंट – प्रोफाइलैक्सि स फैक्
टर्स देना होगा ताकि ब् लीडिंग को नि यंत्रि त कि या जा सके और शरी र अपनी सामान् य कार्यप्रणा ली को जारी
रखते हुए कि सी प्रकार की वि कलांगता का शि कार न बने। बढ़ते बच् चों को ऐसे खेल-कूद से बचना चाहि ए जि समें
वे दूसरों के संपर्क में आते हैं जैसे कि बॉक्सिं ग, फुटबॉल, रग् बी आदि । ऐसे बच् चे स् वीमिंग आदि कर सकते हैं। उन् हें
दर्दनि वारक दवाओं जैसे कि डि स्प्रि न का प्रयोग करने से बचना चाहि ए और उन् हें ऐसी एक् सरसाइज़ करनी
चाहि ए जो उनकी मांसपेशि यों को मजबूती देने के साथ-साथ ब् लीडिंग भी कम करने में मददगा र होती हैं। साथ
ही, उन् हें वज़न को भी नि यंत्रि त रखना चाहि ए और ओवरवेट नहीं होना चाहि ए क् योंकि फैक् टर रि प् लेसमेंट वज़न
पर काफी नि र्भर करता है। यानि , बच् चे के ओवरवेट होने की स्थि ति में अधि क रि प् लेसमेंट फैक् टर की जरूरत
होती है और उसे बार-बार देना पड़ सकता है। हीमोफीलि या के मरी ज़ों को मांसपेशि यों को मजबूत बना ने पर
ज़ोर देना चाहि ए और हडि् डयों की मजबूती के लि ए भी काम करना चाहि ए। डेंटल हाइजि न भी बहुत महत् वपूर्ण
है क् योंकि ऐसा नहीं होने पर मसूढ़ों आदि से खून बार-बार नि कल सकता है और ब् लीडिंग परेशा नी बन सकती
है। इन बच् चों के पास हमेशा एक हीमोफीलि या कार्ड रहना चाहि ए और उनके स् कूलों तथा अन् य देखभा ल करने
वालों को उनकी इस कंडीशन तथा इलाज के बारे में, फौलो अप एक् शन तथा फर्स्ट एड जैसे कि आइस पैक, ब्
लीडिंग होने पर फैक् टर रि प् लेसमेंट आदि के बारे में जानकारी होनी चाहि ए। साथ ही, लोगों को इस कंडीशन के
बारे में जागरूक बना ए जाने की जरूरत है ताकि वे इससे प्रभा वि त लोगों की उचि त तरी के से देखभा ल कर सकें
और वि कलांगता से बचाव हो सके। इस रो ग में मानसि क रूप से थकान भी सामान् य है, इसलि ए हमें इस
कंडीशन से प्रभा वि त लोगों के मानसि क स् वास् थ् य का भी पूरा ध् यान रखना चाहि ए।